23 September, 2013

shayari ..... "कोई कब तक फ़क़त

"कोई कब तक फ़क़त सोचे, कोई कब तक फ़क़त गाए,
इलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाए ?
मेरा महताब उस कि रात के आगोश में पिघले ,
मैं उस कि नींद में जागूँ वो मुझ में घुल के सो जाए ...

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