18 September, 2013

ANUGRAH MISHRA- MISSING YOU....

ANUGRAH MISHRA




जहाँ  राह के नाम पे धोखा है  मेरे साथ है कोई नहीं अब,  फिर कोई नया झरोखा है  फिर कोई और गमजदा यार है,  फिर कोई समझौता है  क्या करूँ इस मज़बूरी का,  गम यही नहीं इकलौता है  यूँ तो उम्मीद अपने ख्वाबों से  लगा बहुत रखी है मैंने,  न जाने क्यूँ लगता है,  की बस्ती-ऐ-कमबख्त ने मुझे टोका है  कल था कोई और साथ,  आज कोई और, कल होगा कौन  क्या...

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