उसी की तरहा
मुझे सारा ज़माना
चाहे ,
वो मेरा होने
से ज्यादा मुझे
पाना चाहे ?.
मेरी पलकों से फिसल
जाता है चेहरा
तेरा ,
ये मुसाफिर तो कोई
और ठिकाना चाहे
.
एक बनफूल था इस
शहर में वो
भी ना रहा,
कोई अब किस
के लिए लौट
के आना चाहे
.
ज़िन्दगी हसरतों के साज़
पे सहमा-सहमा,
वो तराना है जिसे
दिल नहीं गाना
चाहे .
हम अपने आप
से कुछ इस
तरह हुए रुखसत,
साँस को छोड़
दिया जिस तरफ
जाना चाहे .
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