22 September, 2013

"वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे....

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे ,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे ?. 

मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ,
ये मुसाफिर तो कोई और ठिकाना चाहे

एक बनफूल था इस शहर में वो भी ना रहा,
कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे .

ज़िन्दगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा,
वो तराना है जिसे दिल नहीं गाना चाहे

हम अपने आप से कुछ इस तरह हुए रुखसत,
साँस को छोड़ दिया जिस तरफ जाना चाहे .

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