ANUGRAH MISHRA
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HINDI KAVITAYEN
22 September, 2013
ANUGRAH
अब
न
वो
दर्द
,
न
वो
दिल
,
न
वो
दीवाने
हैं
अब
न
वो
साज
,
न
वो
सोज
,
न
वो
गाने
हैं
साकी
!
अब
भी
यहां
तू
किसके
लिए
बैठा
है
अब
न
वो
जाम
,
न
वो
मय
,
न
वो
पैमाने
हैं
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