ANUGRAH MISHRA
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा, अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा
देकर नवल प्रभात विश्व को, हरो त्रस्त जगत का अंधियारा
हर मन को दो तुम नई आशा, बोलें लोग प्रेम की भाषा
समझें जीवन की सच्चाई, पाटें सब कटुता की खाई
जन-जन में सद्भाव जगे, औ घर-घर में फैले उजियारा।।
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा
मिटे युद्ध की रीति पुरानी, उभरे नीति न्याय की वाणी
भय आतंक द्वेष की छाया का होवे संपूर्ण सफाया
बहे हवा समृद्धि दायिनी, जग में सबसे भाईचारा।।
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा
करे न कोई कहीं मनमानी दुख आंखों में भरे न पानी
हर बस्ती सुख शांति भरी हो, मुरझाई आशा लता हरी हो
भूल सके जग सब पी़ड़ाएं दुख दर्दों क्लेशों का मारा।।
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा
वातावरण नया बन जाए, हर दिन नई सौगातें लाए
सब उदास चेहरे मुस्काएं, नए विचार नए फूल खिलाएं
ममता की शीतल छाया में जिए सुखद जीवन जग सारा।।
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा
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